प्रशासन के सितारे- शक्ति पटेल

आईये मिलते हैं श्री शक्ति पटेल जी से जिन्होंने शिक्षक के रूप में अपने नवाचारों से शिक्षा में 32 वर्ष की आयु तथा मात्र 8 वर्षों की सेवा में अपने प्रथम प्रयास से ही राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार जैसे बड़ी उपलब्धि को हासिल किया। आईये जानते कि इन्होंने किस तरह के नवाचार किये हैं जिनसे ये सफलताओं के शिखर पर पहुँच पाने में सफल हुए हैं।  

1) आप अभी किस विभाग में तथा किस पद पर कार्य कर रहे हैं? आपका मुख्य कार्य क्या है?  

जवाब: मैं जनजातीय कार्य विभाग, मध्यप्रदेश शासन के अंतर्गत शासकीय हाईस्कूल मांद, विकासखंड बिछिया, जिला मंडला में माध्यमिक शिक्षक के पद पर अपनी सेवायें दे रहा हूँ। वर्तमान में विभिन्न शैक्षिक व सह शैक्षिक गतिविधियों के माध्यम से बच्चों का सर्वांगीण विकास करने के लिए प्रयत्नशील हूँ। जिला स्तर पर मैं हिंदी विषय का मास्टर ट्रेनर हूँ, जिसमें अध्यापकों को विषय अध्यापन के लिए प्रशिक्षित करना मेरे कार्य का हिस्सा है। साथ ही मैं जिला स्तर पर आई.सी.टी. से सम्बन्धित प्रशिक्षण कार्यक्रम, शिक्षण से सम्बन्धित यूटयूब वीडियो तैयार करना, दीक्षा एप, ऑनलाइन परीक्षा का आयोजन, ऑनलाईन क्विज तैयार करने में जिला स्तर पर रिसोर्स पर्सन की भूमिका निभाता हूँ। इसके अलावा ब्लॉक स्तर पर लाइफ स्किल एजुकेशन के प्रशिक्षणों का मास्टर ट्रेनर भी हूँ।   

2) अभी तक के सफर में सरकार से जुड़कर कार्य करने का अनुभव कैसा रहा है?           

जवाब: शासकीय योजनाओं के क्रियान्वयन और शिक्षक के रूप में विभिन्न योजनाओं से जन समुदाय को जागरूक करने का भरपूर प्रयास किया जाता है। शासन द्वारा संचालित ‘हमारा घर हमारा विद्यालय’ कार्यक्रम में व्हाट्सएप ग्रुप के माध्यम से सभी स्कूली बच्चों को जोड़ा गया। कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए विभाग से मुझे बेहद प्रोत्साहन मिला। मैं बताना चाहूँगा कि पिछले वर्ष कोविड महामारी के दौरान विभिन्न नवाचार किए गए। प्रथम नवाचार के रूप में गूगल फ़ार्म के माध्यम से ऑनलाईन क्विज तैयार किए गए, जिसे जिला अधिकारी के निर्देशन में जिला स्तर पर स्कूली बच्चों से हल करवाया गया। इसका मकसद यही था कि बच्चे शिक्षा से जुड़े रहें और उनका नामांकन शैक्षणिक गतिविधियों में बना रहे। इसको लेकर मैंने जिला शिक्षा अधिकारी को कार्यक्रम की रूपरेखा दी। जैसे-जैसे कार्यक्रम में बेहतर परिणाम दिखाई देने लगे, कलेक्टर जी ने मेरे शिक्षण में किए गए नवाचार की प्रशंसा की और और इसे शैक्षणिक गुणवत्ता के लिए प्रारम्भ किए गए महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट ‘नई उड़ान’ कार्यक्रम में सम्मिलित किया गया। वर्तमान में भी कलेक्टर जी के निर्देशन में मेरे द्वारा प्रति सप्ताह रविवार को ऑनलाइन क्विज तैयार किए जा रहे हैं जिन्हें जिले के विद्यार्थियों से हल कराया जा रहा है।  

3) अभी तक की क्या बड़ी सफलताएं रहीं हैं? एक या दो के बारे में बताईये  

जवाब: अभी तक के कार्यकाल में राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार को मैं अपनी सबसे बड़ी उपलब्धि मानता हूँ क्योंकि मेरा मानना है कि शिक्षा के क्षेत्र में यह पुरस्कार मुझे मेरे नवाचार के लिए प्रोत्साहन स्वरूप प्रदान किया गया है। करोनाकाल में स्कूल बंद थे तो ऐसी विषम परिस्थिति में बच्चों को शिक्षा से जोड़े रखने के लिए 125 से अधिक एजुकेशन और मोटिवेशनल वीडियो अपलोड किये गए। इन वीडियो के QR कोड बनाये गए, जिन्हें स्वनिर्मित नोट्स पर प्रिंट करके इन नोट्स को स्वयं के खर्च से छात्रों को वितरित किया। इन वीडियोज व नोट्स से देश के हजारों छात्र लाभान्वित हुए हैं। मैंने सीखने की प्रक्रिया को रोचक, सरल एवं प्रभावशाली बनाने के लिए शिक्षण में स्मरण तकनीक का प्रयोग किया है। बच्चों को ऐसी तकनीक का प्रशिक्षण दिया जा रहा है, जिसके द्वारा किसी सूचना को याद करने के लिए उसका विजुअलाइजेशन करना सम्भव हो पाता है। देखी गई सूचना छात्र को जल्दी तथा लम्बे समय तक याद रहती है। अतः इस सिद्धान्त को ध्यान में रखते हुए स्मरण शक्ति बढ़ाने के लिए IVS मैथड का प्रयोग अध्यापन में किया जाता है। मैंने सामाजिक विकास से संबन्धित 150 से अधिक कविताओं व गीतों का लेखन किया है। इन सबसे मुझे काफी सकारात्मक परिणाम हासिल हुए। 

4) इन सफलताओं के रास्ते में क्या कुछ अनोखी मुश्किलें या परिस्तिथियाँ सामने आयीं? इनका समाधान कैसे हुआ? क्या आप अपने अनुभव से इसके उदाहरण दे सकते हैं?                                       

जवाब: नवाचारी कार्यक्रम की रुपरेखा तैयार करते समय हर एक बिंदु पर मंथन करना आवश्यक होता है। बच्चों के शिक्षण में सबसे बड़ी चुनौती यही रहती है कि बच्चे किस पृष्ठभूमि से आये हैं इसका डाटाबेस एकत्र किया जाता है, जो काफी मददगार होता है। बच्चों को विभिन्न योजनाओं व कार्यक्रमों से मिलने वाले लाभ के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है। ऐसे में मैंने स्कूल समयावधि से पहले व शाम के समय अभिभावकों के साथ उनकी स्थानीय बोली में फोन पर तथा फिजिकल रूप से सम्पर्क करना शुरू किया। उन्हें समझाया कि वे बच्चों को शिक्षा ग्रहण के लिए स्कूल भेजें, शासन की योजनाओं को प्रिंट फार्मेट में घर-घर भेजना शुरू किया। परिणामस्वरूप अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल में भेज रहे हैं। इसके अलावा हम बच्चों को प्रोजेक्टर व अन्य गतिविधियों के माध्यम से स्थानीय संस्कृति का ज्ञान कराते हैं। बच्चों को स्थानीय संस्कृति से जुड़े हुए पहलुओं पर लिखने का गृह कार्य दिया जाता है। अपने से बड़ों और बुजुर्गों से पूछकर बच्चे स्थानीय संस्कृति से संबन्धित बातों को लिखते हैं, जिससे उनका सांस्कृतिक विकास हो रहा है।    

5) आप बेहतर शासन और सेवा वितरण में अपना योगदान किस प्रकार देखते हैं?   

जवाब: मैं यह मानता हूँ कि वर्तमान समय डिजिटल साक्षरता का युग है। यदि सूचना को डिजिटल संसाधनों से सम्पादित किया जाए तो यह त्वरित कार्य करती है तथा यह मानव संसाधनों के माध्यम से लगने वाले समय को कम करती है। इस पर निश्चित रूप से सुधार और व्यय करने की आवश्यकता है। 

यदि स्थानीय शासन जैसे जिला पंचायत, जनपद पंचायत और ग्राम पंचायत स्तर पर पर श्रेष्ठ युवाओं का चयन कर डिजिटल ज्ञान प्रसार समितियों का गठन किया जाए और इनके माध्यम से डिजिटल साक्षरता और शिक्षा लोगों को उपलब्ध कराई जाए तो निश्चित रूप से सूचनाओं की जनसामान्य तक पहुँच आसानी से हो सकती है। 

इन समितियों में ऐसे युवाओं को शामिल किया जाना चाहिए जो समय-समय पर स्कूली बच्चों के लिए प्रशिक्षण, गोष्ठी जैसे कार्यक्रमों का आयोजन करें। इनके अंतर्गत स्मार्टफोन व कंप्यूटर का इस्तेमाल, शासन की विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के पोर्टल के संचालन संबंधी जानकारी, जनप्रतिनिधियों व लोकसेवकों से  पोर्टल के माध्यम से संवाद की विधियों जैसे प्रशिक्षण दिए जाने चाहिए। ऐसा करने से समिति में कार्य करने वाले युवाओं को रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे और वे शिक्षा के क्षेत्र को विकसित करने में अपना योगदान दे पाएंगे।            

6) अपने काम के किस पहलु से आपको अधिक ख़ुशी मिलती है?                                         

जवाब: मुझे सर्वाधिक ख़ुशी इस बात से होती है कि मेरे द्वारा किये जा रहे नवाचारों से बच्चों एवं समुदाय का विकास हो रहा है। जब गाँव में समुदाय के साथ वार्तालाप करने का मौका मिलता है तो वह अपने आप मेरे द्वारा किये गए प्रयासों से हुए परिवर्तन की बात करते हैं। बच्चों और समाज का विकास मुझे बहुत ख़ुशी देता है और इससे भविष्य में नये नवाचारों के लिए एक नई ऊर्जा का संचार होता है।    

 7) i) अच्छे अधिकारी के 3 ज़रूरी गुण                                           

जवाब: मैं यह समझता हूँ, कि एक अधिकारी में इन तीनों गुणों का होना जरुरी है – 1) संवेदनशील 2) कार्य के प्रति ईमानदार एवं कर्तव्यनिष्ठ  3) रचनात्मक होना चाहिए (कम संसाधनों के उपयोग से अधिकतम कल्याण करने का कौशल)

ii) काम से सम्बंधित वह ज़िम्मेदारी जिसमें सबसे ज़्यादा मज़ा आता हो?

जवाब: मैं हर दिन, हर व्यक्ति व घटनाओं से कुछ न कुछ सीखने में विश्वास रखता हूँ। यही लालसा और इच्छा शक्ति मुझे हमेशा प्रसन्नचित और उत्साहित रखती है।     

 iii) अपने क्षेत्र में कोई ऐसा काम जो आप करना चाहते हो मगर संरचनात्मक या संसाधन की सीमाएँ आपको रोक देती हैं?

जवाब: मेरा मानना है कि जिस प्रकार का संस्थागत ढांचा और साधन हमारे पास उपलब्ध हैं, उन्हीं का प्रयोग करते हुए कार्य करना भी एक कौशल है। यह हम पर निर्भर होता है कि किस तरह से रचनात्मक रूप से इनका उपयोग करते हुए बेहतर परिणाम ला सकते हैं। मेरा वर्तमान जो कार्यक्षेत्र है वह एक जनजातीय बाहुल्य क्षेत्र है। इस कारण से बच्चों को खेल गतिविधियों के माध्यम से सिखाया जाता है।  

iv ) कोई ऐसी बातें जो आपको लगता है कि अवश्य रूप से होनी चहिये–

जवाब: मैं यह मानता हूँ कि यदि कक्षा में इस तरह का माहौल स्थापित किया जाए, जहाँ प्रोजेक्टर के माध्यम से बच्चों को एनिमेशन, 3डी फील्ड जैसे वातावरण का अनुभव कराया जाए तो निश्चित रूप से इससे बच्चों की सीखने की क्षमता का विकास होगा। शासन से मैं यह निवेदन करना चाहूँगा कि विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के लिए विकसित अलग-अलग पोर्टल को एक पोर्टल में समाहित किया जाना चाहिए, जिससे एक ही जगह पर सभी सूचनायें छात्रों व अन्य नागरिकों को मिल पाएँ। एक ही पोर्टल पर विभिन्न छात्रवृत्तियों, कल्याणकारी योजनाओं, प्रतियोगी परीक्षाओं, जीवन कौशल शिक्षा आदि से संबन्धित जानकारी हेतु लिंक उपलब्ध कराई जानी चाहिए। इसी पोर्टल में छात्र लॉगिन, विद्यालय लॉगिन, पालक लॉगिन, अथॉरिटी लॉगिन जैसे विकल्प और प्रौग्रेस ट्रैकिंग जैसे विकल्प उपलब्ध होने चाहिए। 

अंत में जान लेते हैं कि आख़िर राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार चयन के क्या मापदंड होते हैं:

कुछ बिन्दुओं के आधार पर शिक्षक का चयन राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार के लिए होता है जैसे कि बच्चों के विकास एवं कल्याण के लिए किस तरह के कार्य किये गए हैं, स्कूल की बुनियादी सुविधाओं एवं निर्माण में आपका योगदान, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आपके प्रकाशन, फिजिकल व ऑनलाइन प्रशिक्षणों में भूमिका, छात्रों पर शिक्षण का प्रभाव स्थापित करने के लिए किये गए नवाचार, शिक्षण में आई. सी. टी. का प्रयोग, राष्ट्र निर्माण के लिए किए गए कार्यों में योगदान इत्यादि। इन सभी बिन्दुओं पर मार्किंग के बाद बेहतर प्रदर्शन करने वाले अध्यापक का चयन राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार के लिए होता है।