प्रशासन के सितारे- श्री राजेंद्र कुमार सावले
‘प्रशासन के सितारे’ सेक्शन में आईये आपको मध्य प्रदेश, भोपाल में शाला प्रभारी के पद पर कार्यरत श्री राजेन्द्र कुमार सावले जी से मिलवाते हैं, जिन्होंने कोविड की इस विपरीत परिस्थिति में भी बच्चों तक बेहतर शिक्षा पहुँचाने के अपने प्रयास निरंतर जारी रखे हैं।
1) आप अभी किस विभाग में तथा किस पद पर काम कर रहे हैं? आपका मुख्य कार्य क्या है?
जवाब: वर्तमान समय में मैं शासकीय उच्चतर माध्यमिक शाला ईटखेडी में शिक्षक के पद पर काम कर रहा हूँ। 2019 से पहले में जनशिक्षक के पद पर कार्य कर रहा था जिसमें मेरा मुख्य कार्य मेरे जनशिक्षा केंद्र के अंतर्गत आने वाले सभी स्कूलों का शासन के आदेशानुसार निरिक्षण, अवलोकन करना एवं शासन के सभी निर्देश को सभी स्कूलों तक पहुँचाने एवं समय-समय पर शिक्षकों को प्रशिक्षण देने का भी कार्य था। मैं वर्तमान समय में ईटखेडी शाला में शाला प्रभारी एवं माध्यमिक शिक्षक गणित विषय के पद पर पदस्थ हूँ।
2) अभी तक के सफ़र में सरकार के साथ जुड़ कर काम करने का अनुभव कैसा रहा है ?
जवाब: अभी तक का सफ़र काफी बेहतरीन रहा है तथा सरकार में रहकर शिक्षा में काफी कुछ अलग-अलग कार्य करने के अवसर मिले हैं। शाला सिद्धि योजना, दक्षता उन्नयन कार्यक्रम, लॉकडाउन के समय लम्बी अवधी के बाद शासन द्वारा लर्निंग आउटकम के अंतर्गत राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण शिक्षण सामग्री एवं पिछले वर्ष के पाठ्यक्रम के अतिरिक्त दक्षता ऊन्नयन आधारित उपचारात्मक शिक्षण एवं ब्रिज कोर्स के माध्यम से छात्रों की दक्षता में अत्यधिक सुधार देखने को मिला है। हमने हर स्थिति में बच्चों तक शिक्षा को पहुंचाने का कार्य सुनिश्चित किया है। इस प्रकार के कार्यक्रमों के द्वारा मैंने देखा की बच्चे किस प्रकार से अपनी क्षमताओं को बढ़ा रहे हैं। यह राज्य सरकार का सराहनीय प्रयास है। अगर योजनाओं का लाभ पाने में किसी प्रकार की कोई भी समस्या या परेशानी होती है, तो उसे मैं स्वयं गृह संपर्क करके दूर करने का प्रयास करता हूँ ताकि सही सन्देश एवं लाभ बच्चों व अभिभावकों तक पहुँच सके।
3) करियर में अभी तक की क्या बड़ी सफलताएँ रही हैं? एक या दो के बारे में बताएं?
जवाब: माध्यमिक विद्यालय खेजडा कल्याणपुर में मुझे संविदा शिक्षक के तौर पर नियुक्त किया गया था। गणित और विज्ञान विषय हेतु मेरी नियुक्ति की गई थी। जब मेरी नियुक्ति हुई तब माध्यमिक शाला खेजडा कल्याणपुर की परिस्थिति काफी अलग थी जैसे बच्चे स्कूल में नहाकर नहीं आते थे, स्कूल भी काफी गन्दा रहता था। इन वजहों से स्कूल में बैठने का भी मन नहीं करता था। स्कूल में शाला प्रबंधन समिति की बैठक भी नहीं होती थी।
मैंने गाँव में कुछ समय बिताने के बाद और शाला प्रबंधन समिति को घर-घर जाकर उनके अधिकारों के बारे में जागरूक किया तथा इससे धीरे-धीरे अभिभावकों में भी परिवर्तन देखने को मिला। शाला प्रबंधन समिति स्कूल एवं बच्चों की साफ-सफाई को लेकर काफ़ी सजग हुई। इस प्रकार स्कूल के पुराना चित्र को बदलकर नए परिवेश का निर्माण किया। कुछ समय बाद उस स्कूल से मेरे स्थानांतरण का पत्र आया लेकिन गाँव के लोगों ने इसे रोकने का निश्चय किया तथा स्वयं गाँव के लोग एसडीएम के पास गए तथा उनके आग्रह पर मेरा स्थानांतरण रोका गया। यह मेरे लिए एक बड़ी उपलब्धि थी।
वर्तमान मे कोरोना जैसी वैश्विक महामारी के समय लॉकडाउन के चलते छात्रों से व्हाट्सएप्प के माध्यम से शिक्षण गतिविधियों को करके छात्रों को शिक्षण कराने का अवसर प्राप्त हुआ। इसमें पालकों और छात्रों का बहुत सहयोग प्राप्त हुआ और इससे कोरोना काल में भी शिक्षण कार्य निरन्तर जारी रहा। मेरा मानना है कि इन विपरीत परिस्थितियों एवं महामारी के समय हमें छात्रों में शिक्षकों की छवि को और भी बेहतरीन बनाने का अच्छा समय मिला है।
4) शिक्षक के पद पर कार्य करते समय इन सफलताओं के रास्ते में क्या कुछ अनोखी मुश्किलें या परिस्थितियां सामने आयीं? इनका समाधान कैसे हुआ ? क्या आप अपने अनुभव से इसके उदाहरण दे सकते हैं?
जवाब: लोगों में बदलाव लाना अपने आप में एक बड़ी चुनौती है और इसके लिए समय लगता है। यही माध्यमिक शाला खेजडा कल्याणपुर में हुआ, जब शुरुआत में अभिभावकों ने बच्चों की स्वच्छता को लेकर सहयोग नहीं किया। लेकिन शाला प्रबंधन समिति के सहयोग से हमने अभिभावकों को इसके प्रति काफी जागरूक किया, जिससे धीरे-धीरे हमें सहयोग मिला तथा विद्यालय में भी बदलाव देखने को मिला। हर स्कूल में पढ़ाने के लिए समय नहीं मिलता, इसलिए हर विषय के शिक्षकों को अगर पढ़ाने में कहीं दिक्कत हो रही हो तो उन्हें स्वयं जाकर समझाने का कार्य करता हूँ। इसके लिए हमें कई बार शाम को स्कूल बंद होने के बाद भी कार्य करना पड़ता है लेकिन इन सब बातों के बावजूद मुझे अपने इस कार्य को निभाने में बहुत ख़ुशी मिलती है।
5) बेहतर शासन और सेवा वितरण में आप अपना योगदान किस प्रकार देखते है?
जवाब: मैं अपने कार्य के प्रति हमेशा जागरूक रहकर, सरकार द्वारा दिए गये कार्य को पूरी निष्ठा से करता हूँ। जनशिक्षक जनसेवक की तरह होता है, जिसे जहाँ पर जरुरत पड़े वहां जाकर उनकी मदद कर सके तथा सभी को साथ लेकर चले। सभी के साथ पारदर्शिता बनाये रखना होता है ताकि शिक्षक अपनी बात को बिना किसी संकोच से कह पाएं एवं उन्हें सुलझाने में पूरी तत्परता से कार्य कर पाये।
6) अपने काम के किस पहलु से आपको ख़ुशी मिलती है?
जवाब: मैं एक मास्टर ट्रेनर के रूप में भी कार्य करता हूँ। जिस विषय के सन्दर्भ में मुझे शिक्षकों को समझाना है, उसे पूरी लगन के साथ समझाने में मुझे बहुत ख़ुशी मिलती है। मैं शिक्षकों की हर समस्या का निवारण करने की कोशिश करता हूँ। स्कूल मीटिंग के दौरान जब उसी विषय को बिना किसी समस्या के शिक्षकों को पढ़ाते हुये देखता हूँ, तब मुझे बहुत ख़ुशी मिलती है।
7) i) आपके अनुसार एक अच्छे अधिकारी के तीन जरुरी गुण क्या होने चाहिये?
- अपने कार्यक्षेत्र में कार्यरत सभी कर्मियों के साथ व्यवहार अच्छा होना चाहिए
- अपने कार्य को पूरी लग्न के साथ करना चाहिए
- तय समय-सीमा में कार्य करना चाहिए
ii) काम से सम्बंधित वह जिम्मेदारी, जिसमें आपको सबसे ज्यादा मज़ा आता हो ?
जवाब: मुझे सबसे ज्यादा पढ़ाने में मज़ा आता है। बच्चे तब सहज नहीं होते हैं, जब उन्हें किसी विषय में पढ़ने में परेशानी का सामना करना पड़ता है और यह बच्चो की आँखों में साफ़ दिखाई देता है। इसलिए मुझे ऐसे बच्चों के साथ उनकी पढ़ाई से जुड़ी समस्याओं को सुलझाने में आनंद आता है। जब बच्चों को उनका जवाब आने लगता है तो उनका आत्मविश्वास उनके चहरे पर साफ़ दिखाई देता है।
iii) शिक्षक के तौर पर अपने क्षेत्र में कोई ऐसा काम जो आप करना चाहते थे मगर सरंचनात्मक या संसाधन की सीमाए आपको रोक देती थी ?
जवाब: जनशिक्षक जनसेवक की तरह कार्य करता है। वह सबकी मदद करता है, पर जनशिक्षक के पास किसी प्रकार का अधिकार/पॉवर नहीं है। अगर हमें पॉवर मिल जाती है तो हमारे क्षेत्र में शिक्षकों द्वारा किये जाने वाले कार्य और बेहतर हो सकते हैं हालांकि यह पॉवर हमें 8 सितम्बर 2013 में विभागीय परीक्षा एरिया शिक्षा अधिकारी चयन के समय हो गया था किन्तु नियुक्ति प्रक्रिया आज दिनांक तक लंबित है। मेरा शासन और अधिकारी वर्ग से विनम्र निवेदन है की इस प्रक्रिया को जल्द से जल्द पूर्ण किया जाना चाहिए, जिससे की शिक्षा के क्षेत्र में क्षेत्रीय स्तर पर अकल्पनीय बदलाव आ सकें।