प्रशासन के सितारे – श्री दिनेश

‘प्रशासन के सितारे’ सेक्शन में आईये आपको राजस्थान के एक ग्राम विकास अधिकारी श्री दिनेश जी से मिलवाते हैं, जो ज़मीनी स्तर पर सरकार की योजनाओं की क्रियान्वयन करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं

सवाल: आप अपने बारे में कुछ बताएं?

जवाब: मेरा नाम दिनेश है। कॉलेज शिक्षा के बाद, मुख्य रूप से 2018 के बाद से ग्राम विकास अधिकारी के पद पर कार्यरत हूँ। मूलतः मैं काफी सामाजिक, उदारवादी एवं ईमानदार स्वभाव का व्यक्ति हूँ। निम्नवर्गीय परिवार से हूँ, अत: संघर्षपूर्ण जीवन को अच्छे से समझता हूँ। वस्तुतः संघर्षशील युवाओं को प्रेरित करना भी मेरी छवि का भाग है।

सवाल: आप अभी किस विभाग में तथा किस पद पर कार्य कर रहे हैं?  

जवाब: अभी मैं ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग में ग्राम विकास अधिकारी के पद पर अपने कर्तव्य का निर्वहन कर रहा हूँ तथा ग्राम पंचायत उमरवास एवं लम्बोरी,पंचायत समिति कुम्भलगढ़, जिला राजसमन्द में पदस्थापित हूँ।  

सवाल: अपने मुख्य कार्यों को बताते हुए ये बतायें की आपके ऐसे कौन से प्रमुख कार्य हैं, जो सीधे तौर पर नागरिकों से जुड़े हुए हैं?

जवाब: यह सरकार का ज़मीनी स्तर है। नागरिकों के कल्याण के लिए जितनी भी सरकारी योजनायें, प्रमाणपत्र, पट्टा वितरण एवं विकास कार्यो में करीबन-करीबन ग्राम विकास अधिकारी की भूमिका होती है। मुख्य रूप से यदि आप देखें तो वृद्ध, विधवा पेंशन, राशनकार्ड, जन्म-मृत्यु, विवाह प्रमाण, शमशान, नाली -सड़कें, चारागाह अतिक्रमण हटवाना, पंचायत के झगड़े निस्तारण, विकास योजनायें आदि लागू करवाना होता है।     

सवाल: एक अधिकारी के तौर पर आपकी अभी तक की क्या बड़ी सफलताएं रही हैं? क्या आप एक या दो सफलताओं के बारे में बता सकते हैं?           

जवाब: मैं कहूँगा कि जब सरकारी योजनाओं का लाभ उचित लाभर्थियों को समय पर मिल जाए तो मैं अपनी सफलता की लिस्ट में जोड़ देता हूँ। मुझे याद है, कमला बाई कवंर जो मेरे पंचायत क्षेत्र के माध्यम से आई थीं, उनके पास रहने के लिए न जगह थी और न ही घर लेकिन उनके नाम पर प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत  आवास आया था। जिस समय आवास के लिए सर्वे हुआ, पता चला कि उन्होंने फिर पलायन कर लिया, हालाँकि मेरे पास अधिकार था कि मैं उनका नाम पलायन कारण लिखकर काट सकता था। परन्तु मैंने उनको पंचायत के माध्यम से ढूँढना शुरू किया। वो मिल तो गयी पर उनके नाम से पंचायत में जमीन नहीं मिली। फिर गाँव के लोगों को इकट्ठा कर उनको आबादी भूमि में जमीन दिलाने के लिए सर्वसम्मति बनाई। बहुत प्रयासों से उनका मकान बना और आज जिनके पास झोंपड़ी तक नहीं थीं, उनके पास अब मकान है। मैं कह सकता हूँ कि यह मेरे लिए बड़ी ख़ुशी की बात है। इसी तरह ग्राम पंचायत के मृतक रतनसिंह के बच्चों को मकान दिलाना भी मेरी इसी तरह की सफलता का हिस्सा है ।     

सवाल: आपके अभी तक के सफ़र में क्या प्रमुख चुनौतियाँ रही हैं? क्या आप एक या दो उदाहरण दे सकते हैं? आपने इनका समाधान कैसे किया?    

जवाब: ग्राम पंचायत जमीनी विवाद हमेशा बड़े चुनौती वाले होते हैं, चाहे वो चरगाह अतिक्रमण हो, चाहे अन्य पारिवारिक जमीनी विवाद। मुझे याद है गाँव के एक प्रभावशाली व्यक्ति के परिवार में रास्ते को लेकर विवाद हो गया और माहौल इतना गर्म हो गया कि बस हथियार चलने के हालात थे। ऐसे में, मैं और सरपंच साहब उनको समझाने के लिए गए। कमाल की बात तो ये है कि हमारे पास पुलिस जाब्ता बुलाने की पॉवर तो होती नहीं है और मामले भी पंचायत की तह पर पहले हल होते हैं। उन्हें पंचायत में बुलाकर समझाया तथा इतने हंगामे के बाद दोनों पक्ष माने और आज भी वो लोग खुश है।    

सवाल: आप जिस क्षेत्र में काम करते हैं, उसमें ऐसी कौन सी एक या दो प्रमुख चीजें हैं जिनका अनुसरण करते हुए लाभार्थी आसानी से लाभान्वित हो सकते हैं

जवाब: लाभार्थियों को थोड़ा अपने हक के लिए सजग होना होगा जैसे ग्राम पंचायत से नागरिकों का जुड़ाव हो तो निश्चित रूप से वे नई जानकारी से अपडेट रहेंगे। मैं आपको श्रमिक कार्ड योजना के बारे में बताता हूँ, इसमें कई लाभ हैं जैसे एक कार्ड से 9 योजनाओं का लाभ होगा। आप काम करने के लिए औज़ार, बच्चों को छात्रवृति, मकान, गर्भवती सहायता जैसे कई लाभ ले सकते हैं। इसके लिए बस वर्ष में 90 कार्य दिवस आपके श्रमिक के रूप होने चाहिए ,चाहे आपने नरेगा में ही काम किया हो।

सवाल: कई बार देखने को मिलता है कि सरकार की बेहतर योजनाओं के बावजूद भी लाभार्थियों को उनका लाभ समय पर नहीं मिल पाता, आपके अनुसार इसके क्या प्रमुख कारण हो सकते हैं?

जवाब: मुझे लगता है सबसे बड़ी समस्या जो मुझे समझ आती है वह है लोगों तक सही जानकारी न पहुँच पाना। ज़मीनी स्तर पर सारे विकास कार्यों का ज़िम्मेदारी मुझ अकेले पर है। कोई भी योजना आती है तो इतनी व्यस्तता के कारण मैं सभी को नहीं समझा सकता, इसलिए वार्ड पंचो को मीटिंग में जानकारियां देता हूँ परन्तु फिर भी कई बार वो सब लोगों तक नहीं पहुँच पाती तथा चैनल टूट जाता है। मुझे लगता है कि लोगों को थोड़ा जागरूक होना चाहिए एवं हमेशा अपने नज़दीकी जनप्रतिनिधियों के सम्पर्क में रहना चाहिए ताकि समय रहते योजनाओं से लाभान्वित हो पाएं।

सवाल: अपने काम से जुड़ा ऐसा कौन सा पहलु है जिसको करने में आपको गर्व महसूस होता है?

जवाब: आप मानोगे नहीं पर मुझे सबसे ज्यादा गर्व लोगों को उनकी जमीन का पट्टा जारी करने में होता है। यदि किसी नियम के अनुसार दस्तावेज़ है तो मैं बिना अतरिक्त देरी के पट्टा जारी करता हूँ। दरअसल इसमें मेरी निजी ज़िन्दगी का भी हाथ है। मेरे संघर्ष के दिनों में मेरे घर के पट्टे से मैंने लोन लेकर अपनी जमीन बचाई थी। आप मानकर चलिए की लोगों को पट्टा मिलना उनको जमीन मालिक की पहचान ही नहीं देता, वरन उन्हें आर्थिक एवं अन्य कार्यों में भी मदद करता है। मुझे यह कार्य करना बहुत अच्छा लगता है।    

सवाल: यदि आपको अपना काम करने के लिए पूरी तरह से स्वतंत्रता मिले, तो ऐसा एक कौन सा कार्य है जो आप ज़रूर करना चाहेंगे?

जवाब: मुझे अगर काम करने की स्वतंत्रता मिले तो मैं चारागाह अतिक्रमण के मामले में गंभीरता से काम करना चाहूँगा। वैसे मैंने आपको बताया था कि ज़मीनी मामलो में दबाव, रंजिश जैसे कारक बहुत काम करते हैं परन्तु ज़रा सोचिये ये जानवर कहाँ जायेंगे ये तो अपने हक़ के लिए बोल भी नही पाते। इसलिए मुझे लगता है कि इस कार्य पर भी ध्यान देना आवश्यक है।