प्रशासन के सितारे – श्री कामेश्वर ओझा
‘प्रशासन के सितारे’ सेक्शन में आईये आपको बिहार राज्य में वित्त विभाग के अंतर्गत संयुक्त आयुक्त के पद पर कार्यरत श्री कामेश्वर ओझा जी से मिलवाते हैं जिन्होंने राज्य के लिए केंद्रीकृत निधि प्रबंधन प्रणाली तथा डायरेक्ट बेनेफिट ट्रान्सफर जैसे सॉफ्टवेयर बनाकर सेवाओं को सरल बनाने में अपनी प्रमुख भूमिका निभायी है।
1) आप अभी किस विभाग में तथा किस पद पर काम कर रहे हैं? आपका मुख्य कार्य क्या है?
जवाब: मैं वित्त विभाग में पिछले 13 वर्षों से अपनी सेवायें दे रहा हूँ। मैं वर्तमान समय में संयुक्त आयुक्त के पद पर कार्य कर रहा हूँ। मेरा मुख्य कार्य बजट देखना और बनाना होता है। मैंने विभाग में व्यापक ट्रेजरी प्रबंधन सूचना प्रणाली (सीटी-एमआईएस), केंद्रीकृत निधि प्रबंधन प्रणाली (सीएफएमएस) की जगह पर सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली (पीएफएमएस) तथा डायरेक्ट बेनेफिट ट्रान्सफर (डीबीटी) जैसे कई तरह के सॉफ्टवेयर को बनाने का कार्य किया है एवं इसके साथ-साथ इन सॉफ्टवेर को सम्बंधित विभाग में लागू करने का कार्य भी किया है। भारत सरकार ने अक्टूबर 2016 में सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली को रजिस्टर्ड कराया और डायरेक्ट बेनेफिट ट्रान्सफर का राज्य में पोर्टल बनाया। फिर 2016 में सबसे पहले समाज कल्याण विभाग का ई-कल्याण पोर्टल बनाया। फेज़-2 में डायरेक्ट बेनेफिट ट्रान्सफर के तहत शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि और सामाजिक सुरक्षा, आपदा प्रबंधन आदि सभी विभागों को इस पोर्टल से जोड़ा गया।
2) आपका अभी तक के सफर में सरकार के साथ जुड़कर काम करने का अनुभव कैसा रहा है?
जवाब: मेरा अनुभव बहुत अच्छा रहा है परन्तु मुझे कहीं न कही ऐसा लगता है कि विभाग में मानव संसाधन की बहुत अधिक कमी है और ज्यादातर कर्मचारियों के पास अनुभव की कमी भी एक बड़ी चुनौती है। यहाँ तक की कुछ कर्मचारी तो काम ही नहीं करना चाहते हैं। जबसे कम्प्यूटर का युग आया है तबसे पुराने कर्मचारी सिर्फ कम्प्यूटर का ज्ञान नहीं होने का हवाला देते हैं जबकि वे सीखना चाहें तो ज़रूर सीख सकते हैं। मैं जब 45 वर्ष का था तो उस समय मैंने कंप्यूटर पर काम करना सीखा और आज मैं अच्छे से काम करता हूँ। मेरा मानना है कि सरकार में कुछ ऐसे भी अधिकारी हैं, जो काम नहीं करना चाहते हैं जिसके कारण काम समय पर नहीं हो पाता तथा उसकी वजह से नागरिकों को सेवाएं समय पर नहीं मिल पाती।
3) करियर में अभी तक की क्या बड़ी सफलताएं रहीं हैं? क्या आप एक या दो के बारे में बता सकते हैं?
जवाब: मेरी सबसे बड़ी सफलतायें रही हैं:
- केंद्रीकृत निधि प्रबंधन प्रणाली सॉफ्टवेयर तथा
- डायरेक्ट बेनेफिट ट्रान्सफर सॉफ्टवेयर तैयार करना
वर्ष 2008-2009 में कंप्यूटर पर कार्य नहीं होता था। अतः जब किसी अधिकारी के पास फाइल जाती थी, तो वह वहीं पर पड़ी रहती थी। इस वजह से ट्रेजरी में कर्मचारियों को बार–बार जाना पड़ता था, बिल जमा करने में काफी समय लग जाता था। इसके लिए पहले व्यापक ट्रेजरी प्रबंधन सूचना प्रणाली के तहत बिहार ट्रेजरी को ऑनलाइन किया गया तथा सभी जिला ट्रेजरी को मुख्यालय से जोड़ा गया। सबसे पहले कार्यालय कर्मचारी का वेतन, कार्यालय खर्च और जितनी भी योजनाओं का पैसा निकासी होता था, जिसमें ऑनलाइन होने के कारण लाभ यह हुआ कि कार्य में पारदर्शिता आई, सरकार के खाते से रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट (आरटीजीएस) के माध्यम से पैसा आने और जाने लगा तथा बिना पेपर कार्य से प्रणाली में सुधार देखने को मिला।
मैं तथा मेरी टीम वर्ष 2016 से 2019 तक राजस्थान, उड़ीसा, बंगलौर, आन्ध्र प्रदेश, तेलंगाना, गुजरात इत्यादि राज्यों में केंद्रीकृत निधि प्रबंधन प्रणाली (सीएफएमएस) को समझने के लिए गए कि आख़िर इन राज्यों में किस तरह से कार्य हो रहा है। हमने इन सभी राज्यों से जो भी सीखा, उसका एक नया ऑनलाइन केंद्रीकृत निधि प्रबंधन प्रणाली सॉफ्टवेयर बनाया जोकि अन्य राज्यों से काफी बेहतर रहा।
सॉफ्टवेयर बनाने के उपरांत एवं कोरोना के समय इसका लाभ अत्यधिक महत्वपूर्ण साबित हुआ। लोगों को घर बैठे ही सभी योजनाओं का लाभ तथा कर्मचारियों को वेतन मिल रहा है। अगर केंद्रीकृत निधि प्रबंधन प्रणाली के तहत कार्य नहीं हुआ होता, तो कोरोना महामारी के कारण जो स्थिति थी उसमें सभी को लाभ पहुँचाना बहुत ही मुश्किल होता।
4) इन सफलताओं के रास्ते में क्या कुछ अनोखी मुश्किलें या परिस्थितियां सामने आयीं? इनका समाधान कैसे हुआ? क्या आप अपने अनुभवों से इसके उदाहरण दे सकते हैं?
जवाब: केंद्रीकृत निधि प्रबंधन प्रणाली तथा डायरेक्ट बेनेफिट ट्रान्सफर कार्य के तहत मुझे काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। इस प्रणाली के तहत कोई भी कार्य करना नहीं चाहता थे। जब इसकी शुरुआत की जा रही थी, तब पंचायत से लेकर जिला स्तर तक के कुछ अधिकारी ऐसे भी थे जो इसका विरोध कर रहे थे। वे नहीं चाहते थे कि वित्तीय कार्य इस तरह ऑनलाइन माध्यम से हो बल्कि इसके विरोध में कई विभागों ने अपना काम रोक दिया था।
इस प्रणाली का इस्तेमाल सबसे पहले कर्मचारियों का वेतन जारी करने के लिए किया गया जबकि इसके पहले ट्रेजरी में वेतन कई महीनो तक पड़ा रहता था और कर्मचारियों का वेतन समय पर नहीं मिल पाता था। जब इस प्रणाली का इस्तेमाल वेतन देने में किया गया तब चेक सिस्टम बंद किया गया और वेतन समय पर सीधे कर्मचारी के खाते में पहुँचना शुरू हुआ तथा इससे कर्मचारी भी धीरे-धीरे इसका साथ देने लगे। इस प्रणाली के शुरू होने से कर्मचारियों को अपने बिल जमा करने के लिए ट्रेजरी के चक्कर नहीं लगाने पड़ रहे थे, जिसके कारण भी वे सभी इस सिस्टम से खुश थे।
इसके अलावा सिस्टम में दो तरह के लोग होते है। पहले वो, जो नियमों के अनुसार कार्य करना चाहते हैं और दुसरे वो, जो कुछ न कुछ बहाना लगाकर सिस्टम में ऐसे ही बने रहना चाहते हैं। मैंने ऐसे लोगों को चिन्हित करके उनकी जवाबदेही तय की तथा सिस्टम में काफी बदलाव करने के प्रयास किये।
5) बेहतर शासन और सेवा वितरण में आप अपना योगदान किस प्रकार देखते हैं ?
जवाब: मैं राज्य में केंद्रीकृत निधि प्रबंधन प्रणाली तथा डायरेक्ट बेनेफिट ट्रान्सफर के लिए ढांचा तैयार करने व इसके क्रियान्वयन को अपनी सबसे बड़ी उपलब्धि मानता हूँ। क्योंकि जब भी मैं अपने गाँव जाता था तो मुझे वहां के बड़े बुजुर्ग कहते थे, “भैया पैसा समय पर नहीं मिलता है”।
उदाहरण के लिए गाँव की आंगनवाड़ी सेविका तथा यूनिवर्सिटी के प्रोफ़ेसर से बात करके भी मालुम चला की उनके वेतन में हमेशा समस्या आती रहती थी तथा वेतन कभी भी समय पर नहीं मिलता था। ऐसे ही कई सारे लोगों की समस्याओं को ध्यान में रखते हुए हमने इस सॉफ्टवेयर की मदद से लोगों को राहत देने का प्रयास किया है। इससे लोग आज खुद कह रहे हैं कि उन्हें अब वेतन समय पर आने लगा है। वहीं कोरोना जैसी महामारी में घर बैठे एक क्लिक से लाखों–करोड़ों बच्चों के खाते में छात्रवृत्ति, पोशाक, मध्याहन भोजन आदि की राशि सीधे पहुंच रही है। इसके अलावा सभी कल्याणकारी योजनाओं जैसे वृद्धावस्था पेंशन, किसान समृद्धि योजना आदि जैसी कई सारी योजनाओं की राशि सीधे लाभार्थी के खाते में पहुंच रही है।
6) अपने काम के किस पहलु से आपको ख़ुशी मिलती है?
जवाब: मुझे पढ़ने-पढ़ाने में बहुत ख़ुशी मिलती है। मैंने एक शिक्षक की भूमिका निभाई है, सार्वजनिक वित्त पर हजारों युवाओं, सरकारी कर्मचारियों को शिक्षित किया है।
दूसरा, जब आज लोग बिना बाहर जाये घर बैठे हर प्रकार के बिल ऑनलाइन जमा कर लेते हैं तो उससे मुझे बहुत ख़ुशी मिलती है। मैं जिस सिस्टम पर काम कर रहा हूँ उससे नागरिक इतने लाभान्वित हो सकते हैं, मैंने इसकी कल्पना नहीं की थी ।
7) i) अच्छे अधिकारी के 3 ज़रूरी गुण
जवाब: 1) समय पर कार्यालय आना 2) जो कार्य मिला है, उसकी पूरी जानकारी रखकर कार्य करना 3) कार्य की जिम्मेदारी केवल एक व्यक्ति पर न छोड़कर उसे मिलकर पूरा करना।
ii) काम से सम्बंधित वह ज़िम्मेदारी जिसमें सबसे ज़्यादा मज़ा आता हो।
जवाब: मुझे अपने कार्यकाल में केंद्रीकृत निधि प्रबंधन प्रणाली के तहत कार्य करने में सबसे ज्यादा मज़ा आया। मुझे इस बात से बहुत प्रसन्नता होती है कि अब केवल एक बटन दबाने मात्र से सम्बंधित योजना का पैसा उसके मूल लाभार्थियों के खाते में पहुँच जाता है।
iii) अपने क्षेत्र में कोई ऐसा काम जो आप करना चाहते हो, मगर संरचनात्मक या संसाधन की सीमाएँ आपको रोक देती हैं-
जवाब: मैं अपने अनुभवों से अभी तक यह समझ पाया हूँ कि मानव संसाधन की कमी होने की वजह से कार्य की गति में काफी बाधा उत्पन्न होती है। इसके अलावा कर्मचारियों में स्किल का अभाव होने के वजह से बड़े पैमाने पर कार्य बाधित होते हैं। यदि इस पर हम सभी गंभीरतापूर्वक विचार-विमर्श करें तो कार्य जल्द से जल्द अपने अंतिम चरण पर पहुंच पायेंगे।