परिस्थितियों के अनुसार स्वयं को तैयार करें!

‘साथियों के विचार’ सेक्शन में आईये आपको मंथन संस्था राजस्थान से उम्मेद जी से मिलवाते हैं, जिनका मानना है कि हम सभी नागरिकों को परिस्थितियों के अनुसार स्वयं को तैयार करना होगा ताकि सेवाएं हर स्थिति में जारी रहें।

कोविड का दौर एक ऐसा समय है जिसने हमारे जीवन को बुरी तरह से प्रभावित किया है। हम सभी ने इस कालखंड को इतने करीबी से देखा, जिसे हम में से कोई भी व्यक्ति इसे दुबारा अपने जीवन में वापिस नहीं चाहेगा। गाँव से लेकर शहरों तक लोगों ने इसके प्रभाव को बुरी तरह से झेला है चाहे बात समय पर बेहतर स्वास्थ्य न मिल पाना हो या फिर पलायन, रोज़गार जैसी समस्यायें हों।

लेकिन मेरा मानना है कि भले ही यह समय हमारे लिए बहुत बुरा रहा हो लेकिन इस विपरीत समय ने हमें यह एहसास कराया कि हमें परिस्थितियों के अनुसार अपने जीवन को ढालना चाहिए तथा उनसे जूझते हुए हमें नये-नये उपायों के बारे में सोचते रहना होगा। जब महामारी हमारे जीवन में दाख़िल हुई तो, किसी ने नहीं सोचा कि इसका प्रभाव हमारे जीवन में कैसा तथा कितना पड़ेगा। बल्कि किसी को ये भी अंदाज़ा नहीं था कि इससे हम कितने समय तक प्रभावित रहेंगे और यहाँ तक की हम सभी ने मानो ये सोच लिया था कि शायद अब जीवन पूरी तरह से रूक गया है और न जाने अब हम अपने आमतौर के जीवन में कब वापिस लौट पायेंगे।

फिर भी हम-आप सभी ने इस महामारी से लड़ते हुए अपने काम करने के तरीके में बदलाव लाने की कोशिश की है बल्कि अगर मैं ये कहूँ कि हमने परिस्थितियों के अनुसार स्वयं को तैयार कर लिया है तो इसमें कोई हर्ज़ नहीं होगा। उदाहरण के लिए हमने बहुत से कार्यों को तकनीक के साथ जोड़ने की कोशिश की है तथा जहाँ हमें एक दुसरे के साथ मिलने में चुनौती पेश आ रही थी, वहां वर्चुअली चीजों को ट्रैक पर लाने का प्रयास किया। हमने ज़ूम अथवा गूगल मीट के माध्यम से साथियों को जुड़ने के लिए तैयार किया तथा धीरे-धीरे इन प्लेटफॉर्म्स पर चर्चाएँ करके अपने काम को जारी रखा। तो अगर मैं कहूँ तो ऑनलाइन माध्यमों से हम सभी फील्ड टीम के साथ-साथ अपने सीनियर्स के साथ भी जुड़े रहे हैं और उन्हें भी कार्य का नियमित अपडेट रखा।

हम सभी पिछले कई वर्षों से कुछ सिमित क्षेत्रों में कार्य कर रहे हैं चाहे वह बच्चों की शिक्षा को बेहतर बनाना हो या फिर महिलाओं के पोषण में सुधार लाना हो यानी सारा फोकस उसी क्षेत्र के विकास पर रहा। लेकिन जब हमने देखा की कोविड की वजह से नागरिकों का जीवन त्रस्त है, तो ऐसे में हमने अपने काम में बदलाव किया तथा ऐसे काम करने का प्रयास किया जिससे लोगों को पहले कोविड से बाहर निकाला जा सके। चाहे वह उनके राशन से जुड़ी समस्याओं को लेकर हो या फिर उनके रोज़गार सम्बन्धी मुद्दों को सुलझाना हो। क्योंकि हमें लगा कि सबसे पहले हमारी प्राथमिकता लोगों के जीवन को पटरी पर लाना है। हमने धीरे-धीरे इसी सोच को आगे बढ़ाने के लिए हमें ऐसी ही कुछ अन्य संस्थाओं का भी साथ मिला।

मेरा मानना है कि ऐसी परिस्थितियों में हम सभी संस्थाओं में काम कर रहे साथियों को अपने सीनियर्स, अपनी फील्ड टीम, पार्टनर संस्थाओं एवं डोनर संस्थाओं को यह विश्वास दिलाना होगा कि हम कैसे नागरिकों के जीवन को बेहतर बना सकते हैं। हमें मुश्किल समय के दबाव में न आकर, मिलकर समाधानों के बारे में सोचना होगा तथा साथ ही भविष्य के लिए खुद को अधिक से अधिक क्षमतावान बनाना होगा ताकि सेवाओं को बेहतर करने के हमारे प्रयास जारी रहें।