टीकाकरण को लेकर नागरिकों में अनेकों भ्रांतियां हैं!

अप्रैल 2020 में शुरू की गई ‘इनसाइड डिस्ट्रिक्ट्स’ श्रृंखला जिला और ब्लॉक स्तर के अधिकारियों, पंचायत पदाधिकारियों, लाभार्थियों और फ्रंटलाइन कार्यकर्ताओं के अनुभवों को उनकी चुनौतियों और बेहतरीन कार्यों को संजोने का एक अनूठा प्रयास है।

प्रश्न: क्या पिछले दो महीनों में आपके गांव में प्रवासी श्रमिक लौट कर आए हैं? क्या उनके लिए किसी प्रकार के क्या इंतजाम किए गए हैं?

पंचायत सचिव: प्रवासी श्रमिक वापस गांव आ गए हैं। सरकार ने उनके लिए रोजगार  सुनिश्चित करने की बात कही है, लेकिन बड़ी संख्या में मजदूर लौट आए हैं और पंचायत के पास उनके लिए पर्याप्त काम नहीं है।

बिहार की सभी पंचायतों का कार्यकाल अभी पूरा हुआ है और पंचायत के पास जो भी राशि थी, उसे कार्यकाल पूरा होने से पहले ही खर्च कर दिया गया है। अब धन की कमी के कारण कोई नया काम शुरू नहीं कर पा रहे हैं।

सरकार द्वारा गांव में एक सामुदायिक रसोई की शुरुआत की गई है जहां प्रवासी श्रमिकों और अन्य जरूरतमंद लोगों को एक दिन में तीन समय का भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है।

प्रश्न: 45 वर्ष और 18 वर्ष से ऊपर की आयु वर्ग के लोगों के टीकाकरण के लिए क्या व्यवस्था की गई है? आप किन कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं?

पंचायत सचिव: मेरे गाँव की 45 वर्ष से अधिक आयुवर्ग की आबादी में से लगभग साठ प्रतिशत का टीकाकारण किया जा चूका है। बाकी लोग अफवाहों की वजह से टीका लगवाने के लिए तैयार नहीं हैं।

कुछ लोगों में इस तरह की भ्रान्तिया हैं कि यह टीका पुरुष नसबंदी के लिए है या टीका लेने के छह महीने बाद लोग मर जाते हैं। कुछ लोग यह भी कह रहे हैं कि टीकाकरण के बाद तेज़ बुख़ार से मौतें हो रही हैं। वैक्सीन को लेकर ग्रामीणों में और भी कई तरह की अफवाहें हैं, जिसके कारण टीकाकरण की प्रक्रिया पूरी नहीं हो पा रही है।

18 वर्ष से अधिक आयुवर्ग के लिए, हमारी पंचायत में पर्याप्त टीके नहीं हैं। बहुत से ऐसे लोग हैं जो वैक्सीन लेने नहीं आ रहे हैं क्योंकि वे अफवाहों पर यकीन कर रहे हैं। इस तरह की अफवाहें टीकाकरण प्रक्रिया में बड़ी बाधा हैं।

प्रश्न: क्या आपके गांव में कोई कोविड-19 के गंभीर मरीज़ थे? क्या उन्हें आवश्यक उपचार मिला?

पंचायत सचिव: मेरे गांव में दो गंभीर कोविड-19 मरीज़ थे। उनमें से एक मरीज़ की ऑक्सीजन स्तर कम होने के कारण मृत्यु भी हो गई, लेकिन दूसरा मरीज़ ठीक हो गया। उस समय भी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) में ऑक्सीजन सिलेंडर उपलब्ध नहीं थे और अभी भी पीएचसी के पास पर्याप्त ऑक्सीजन सिलेंडर नहीं है; जिला अस्पताल में उपलब्ध सुविधाएं भी संतोषजनक नहीं हैं।

सरकार लोगों से कह रही है कि कोविड-19 के लक्षण दिखने पर नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र से संपर्क करें, लेकिन लोग इसे गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। वे घरेलू उपचार से अपना इलाज करने की कोशिश करते हैं या किसी ऐसे स्थानीय चिकित्सक के पास चले जाते हैं जिसके पास आवश्यक योग्यता भी नहीं है।

प्रश्नः क्या ग्राम पंचायत विकास योजना (जीपीडीपी) तैयार की जा रही है?

पंचायत सचिव: गत वर्ष से ग्राम पंचायत विकास योजना (जीपीडीपी) नहीं बनी है। इसका कारण यह है कि इसके लिए हमें एक आम सभा करनी होती है, जो महामारी के दौरान संभव नहीं है। साथ ही जीपीडीपी अभी सरकार की प्राथमिकता नहीं है, इसलिए हमें इस बारे में कोई निर्देश भी नहीं मिला है।

 

यह साक्षात्कार 26 मई 2021 को बिहार के रोहतास जिला के एक पंचायत सचिव के साथ किया गया है।