जवाबदेही और पारदर्शिता के लिए नागरिक समिति- एक उदाहरण
भारत में सरकार एवं नागरिकों के मध्य जवाबदेही और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए कई तरह के प्रावधान हैं। ऐसे सरकारी विभाग जो सीधे नागरिकों से जुड़े हैं, वे कुछ समितियों का गठन करते हैं जैसे पंचायती राज में गठित स्थायी समितियां, शिक्षा विभाग द्वारा गठित विद्यालय प्रबंधन समितियां आदि। इन समितियों में नागरिक तथा सरकार दोनों की भागीदारी होती है तथा इनका उद्देश्य दोनों पक्षों के बीच की दूरी को कम करना है।
पुलिस का नागरिकों के साथ समन्वय बना रहे, इसके लिए राज्यों के पुलिस एक्ट में कम्युनिटी लाइज़निंग ग्रुप (सी.एल.जी) के गठन का प्रावधान है। पंचायत एवं शहरी क्षेत्रों में प्रत्येक पुलिस थाने में सी.एल.जी समितियां बनी हुई हैं। सी.एल.जी के सदस्यों के पास नागरिक अधिकारों से सम्बंधित काफी शक्तियां होती हैं।
कोरोना काल में इन समितियों ने स्थानीय इलाकों में राहत एवं निगरानी के कार्यों में पुलिस की मदद की है। मास्क वितरण अभियान में पुलिस का सहयोग करना हो, लॉकडाउन के दौरान सतत निगरानी तथा अपने-अपने क्षेत्रों की रिपोर्ट पुलिस को देना हो ,या फिर राशन वितरण कार्यक्रमों में पुलिस को व्यवस्था बनाये रखने में सहयोग करना हो, इस वर्ष ये समितियां काफी चर्चा में रही हैं।
सरकार एवं नागरिकों के मध्य जवाबदेही और पारदर्शिता की प्रक्रिया में ये समितियां महत्त्वपूर्ण हैं क्योंकि इसमें दोनों पक्षों की सक्रिय भूमिका होती है तथा इसीलिए दोनों तरफ की जवाबदेही भी होती है। सी.एल.जी सदस्यों की प्रतिमाह एक बैठक निर्धारित है जिनमें वे अपने विचार रखते हैं। अतिक्रमण,अशांति जैसे विषयों पर वे सरकारी विभागों से जवाब भी मांगते हैं।
सी.एल.जी सदस्य मिलकर एक अध्यक्ष का चुनाव करते हैं, जिनका कर्तव्य है कि प्रतिदिन थाने में जाकर देखें कि वहां किसी नागरिक के अधिकारों का हनन तो नही किया जा रहा है, तथा समिति के सदस्यों को इसके बारे में अवगत कराएं। कई मामलों में बेहतर तालमेल के लिए हर स्तर पर बनी समितियां भी आपस में बैठक करती हैं।
सरकार एवं नागरिकों के मध्य जुड़ाव के प्रयास निरंतर किये जाते रहे हैं, चाहे वे विकास के लिए हों या सुझाव अथवा सुरक्षा संबंधित। कोरोनाकाल में सी.एल.जी समितियों का पुलिस को सहयोग इसका ज्वलंत उदारहण है। परन्तु फिर भी ज़मीनी स्तर पर ऐसी समितियों का गहरा असर पड़ने एवं व्यापक नागरिक-चेतना जाग्रति का रास्ता अभी लम्बा है।