जरुरी है, संस्थाओं के तौर पर हमें आत्ममंथन करना!

मेरा नाम बृजेन्द्र कुमार है तथा मैं मध्य प्रदेश के सतना जिले में शिवा ग्रामीण विकास संस्था से जुड़ा हूँ। मुझे एन जी ओ क्ष्रेत्र में काम करने की प्रेरणा वर्ष 2007 में एक सामाजिक कार्यक्रम में शामिल होने के बाद मिली। उस कार्यक्रम ने मेरे सोचने का तरीका ही बदल दिया, समाज के प्रति एक समर्पण व सेवाभाव पैदा होने लगी। सामाजिक क्षेत्र में काम करने की ललक मेरे अंदर शायद पहले से ही थी जोकि मुझे हमेशा प्रेरित करती रही। लोगों की मदद करने की आतुरता मुझे सामाजिक क्षेत्र से जोड़कर रखती है। एन जी ओ में काम करने का सामाजिक कार्यक्षेत्र असीमित है जो इसे अपने आप में विशेष बनाता है।

मैं पिछले 13 वर्षों से सामाजिक क्षेत्र में जुड़कर कार्य कर रहा हूं तथा इस दौरान मुझे विभिन्न संस्थाओं के साथ-साथ सरकार के साथ जुड़कर कार्य करने का भी अवसर मिला है। एन जी ओ क्षेत्र इतना व्यापक है कि आपको इस दौरान सरकार के साथ-साथ नागरिकों के साथ भी जुड़कर काम करने का मौका मिलता है अतः मैं इस क्षेत्र में जुड़े हुए तथा आगे जुड़ने के लिए तैयार आप सभी साथियों के साथ कुछ प्रमुख बातें साझा करना चाहूँगा, जो निश्चित तौर पर आपके लिए मददगार साबित होंगी|

• मैंने अनुभव किया है कि कुछ सरकारी कर्मचारियों का रवैया सकारात्मक नहीं होता तथा उनकी सामाजिक कार्यों में कोई रुचि भी नहीं होती है। संस्थाओं में रहते हुए यदि आपको सरकार के साथ जुड़कर काम करना हो तो सबसे पहले ऐसे अधिकारीयों को चिन्हित करना होगा जो चाहते हैं की सामाजिक क्षेत्र में कुछ बदलाव हो| प्रत्येक विभाग में ऐसे कुछ अधिकारी अवश्य होते हैं जो जमीनी स्तर तक सेवाओं की बेहतर पहुँच सुनिश्चित करना चाहते हैं| अतः सरकार के साथ काम करते समय यह अवश्य ध्यान में रखना होगा|

• जब भी आप सरकार के साथ काम कर रहे हों तो यह अवश्य ध्यान में रखें कि उनके साथ चर्चाएँ हमेशा जारी रखें तथा आप जो भी जमीनी स्तर पर कार्य कर रहे हों, उनकी रिपोर्टिंग नियमित करते रहें तथा समय-समय पर सरकार के अधिकारीयों के साथ उन्हें साझा करते रहें ताकि उन्हें भी आपके ऊपर भरोसा बने रहे| इससे अधिकारी आपको आगामी कार्यों में पूरा सहयोग करेंगे|

• जब भी हम किसी अधिकारी के पास जाते हैं तो कई बार वह कोई न कोई बहाना बनाकर काम को टालते रहते हैं। अतः जब आपको लगे की काम नहीं हो पा रहा है तो उससे उच्च अधिकारी से सम्पर्क करें तथा उनके साथ अपने कार्य एवं उद्देश्य को प्रस्तुत करें| जब आप अपने काम से उच्च अधिकारीयों को भरोसा दिला देते हैं तो इससे स्वतः ही नीचे के अधिकारी आपकी बात सुनने लगते हैं।

• संस्थाओं को यदि अपने काम का ज्यादा प्रभाव दिखाना है तो निश्चित रूप से सरकार के साथ मिलकर शासकीय योजनाओं को ज्यादा से ज्यादा प्रचार-प्रसार व उन्हें जरूरतमंद लोगों तक पहुंचाने में मदद करनी होगी| साथ ही लोगों को जागरूकता के साथ-साथ समस्त योजनाओं की जानकारी जैसे सरकारी तंत्र काम कैसे करता है, कैसे प्लानिंग में भागीदारी करनी है इत्यादि में भी सहभागी होना होगा।

• अगर संस्थाओं को अपने कार्य का व्यापक परिणाम दिखाना है तथा अपने कार्य में आने वाली मुश्किलों को सरल करना है, तो इसके लिए जरुरी है कि संस्थाएं अपने ब्लॉक, जिला एवं राज्य में कार्य कर रही संस्थाओं के साथ यथासंभव जुड़ने का प्रयास करें। इससे संस्थाओं के तौर पर हमें एक दुसरे की समस्याओं को हल करने में भी काफी मदद मिलेगी।

अंत में मैं यही कहना चाहूँगा कि जो साथी इस क्षेत्र में आना चाहते हैं उन्हें इसके लिए धैर्य के साथ-साथ ज्ञान का होना, सामुदायिक रूप से कार्य करना तथा सरकार के साथ तालमेल बिठाकर ही अपेक्षित परिणाम हासिल हो सकते हैं। इसमें कठिनाई बहुत है लेकिन ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है, जहां कठिनाई न हो। मैं तो यही कहना चाहूँगा कि हमें जो इस क्षेत्र में काम करने से तथा किसी की मदद करने में जो आत्मिक आनंद मिलता है, वह और किसी क्षेत्र में संभव ही नहीं है|